Monday, December 10, 2018

साहब मारेंगें।

यह बात आज सुबह की हैं मैं चाय पीने के लिए चच्चा की दुकान में बैठा था l  मैं चाय की चुस्कियां ले रहा था तभी मेरे पास एक बच्चा आया l और मुझे देखकर वो बोला "भैया" और अपना हाँथ फैलाया मैं बोला " छोटु " मेरे पास तो छुट्टे नहीं हैं कुछ खा लो वो बोला नहीं मैं कुछ नहीं खाऊंगा अगर मैं खाऊंगा तो मेरे साहब मुझे मारेंगें
मैं बोला कौन साहब ? वो बोला हमारे साहब है वो हमें लोगों से पैसा मांगकर लाने  को कहते हैं और पैसा न जमा करने पर वो हमें मारते  हैं हम  40 लोग हैं और सभी लोग भीख मांगते हैं। हम  सब लोग 200 से 300 रूपए लोगों से माँग लेते हैं और सब लोग अपना - अपना पैसा साहब के पास जमा करते हैं और फिर हम सभी लोग 
एक कमरे में नीचे ज़मीन पर चटाई बिछाकर और सोते हैं और दरी को ओढ़ते हैं।  और खाने के लिए 2-3 रोटी और दाल देते हैं , हम लोगों का पेट नहीं भरता और भूख लगने पर हम लोग व्हाइटनर या सेलूशन रुमाल में रखकर जोर से सूँघते हैं जिससे हमें नसा आ जाता हैं और फिर भूख नहीं लगती।  साहब के कुछ आदमी हमारे आस-पास 
घूमते रहते हैं जिससे हम लोगों से कुछ बोल नहीं पाते। और पैसा न जमा करने पर साहब मारते  हैं इसलिए हम लोग पैसा ही मांगते हैं इतना बोलकर वो जाने लगा तो मैं उसे बैठाकर खाना खिलाया और मेरे पास समय का आभाव होने के कारण मैं उससे कल मिलने को बोला अब कल उससे मिलने के बाद ही मैं उसके बारें में जानकारी दे 
पाउँगा कि वो कहाँ का रहने वाला हैं और वो ये यहाँ इन लोगों के पास कैसे पहुंचा और उसे कितनी दुःखो  का सामना करना पड़ रहा हैं .
लेकिन मैं मानता  हूँ की ऐसे लोग जो छोटे बच्चो का शोषण कर रहे हैं, इन लोगों को बढ़ावा भी हमी लोगों से ही मिलता हैं. ऐसे लोग हमारे आस-पास रहते हैं और हम सब जानकर भी अनजान बने रहतें हैं।  और हम सोचते हैं की हम अकेले इनका कुछ नहीं कर सकते।  लेकिन हमारी सोच हमारी मानसिकता की ख़राब हैं सच तो ये है कि 
हम सोचते हैं कि हमारा इसमें क्या फायदा होगा ? आज हमारी इसी  वजह से कितने लोगों  मज़बूर किया जाता हैं, उनका शोषण होता  है, उनके मानव अधिकार का हनन होता हैं और हम सब चुप चाप खड़े रहकर ये देखते रहतें हैं लेकिन हमारे और आपके प्रयास से ये बुराई ख़त्म हो सकती है. ज़रुरत है सिर्फ एकता की और एकता भी हमी और आपके प्रयास से संभव है. हम और आप सोचते हैं की हम अकेले क्या कर पाएंगे ? लेकिन ये गलत हैं एक से ही हज़ार होते है बस ज़रुरत हैं आगे बढ़ने की 
इस देश में हर दिन, हर घंटे, हर मिनट, न जाने कितने बच्चो का, लड़कियों का, शोषण किया जाता हैं और हम चुप रहते हैं की हम अकेले क्या कर सकते है ?
जिन बच्चो के हाँथ में देश का भविष्य हैं आज उन्ही बच्चो के हाथों पर मज़बूरियां।  आखिर क्यों ? 



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