Wednesday, January 17, 2018

देश कि बेरोज़गारी

बेरोजगारी देश के सम्मुख एक प्रमुख समस्या है जो प्रगति के मार्ग को तेजी से अवरुद्‌ध करती है । यहाँ पर बेरोजगार युवक-युवतियों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है । स्वतंत्रता के पचास वर्षों बाद भी सभी को रोजगार देने के अपने लक्ष्य से हम मीलों दूर हैं ।बेरोजगारी की बढ़ती समस्या निरंतर हमारी प्रगति, शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बन रही है । हमारे देश में बेरोजगारी के अनेक कारण हैं । अशिक्षित बेरोजगार के साथ शिक्षित बेरोजगारों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है । देश के 90% किसान अपूर्ण या अर्द्ध बेरोजगार हैं जिनके लिए वर्ष भर कार्य नहीं होता है । वे केवल फसलों के समय ही व्यस्त रहते हैं । शेष समय में उनके करने के लिए खास कार्य नहीं होता है । यदि हम बेरोजगारी के कारणों का अवलोकन करें तो हम पाएँगे कि इसका सबसे बड़ा कारण देश की निरंतर बढ़ती जनसंख्या है । हमारे संसाधनों की तुलना में जनसंख्या वृद्‌धि की गति कहीं अधिक है जिसके फलस्वरूप देश का संतुलन बिगड़ता जा रहा है ।इसका दूसरा प्रमुख कारण हमारी शिक्षा-व्यवस्था है । वर्षो से हमारी शिक्षा पद्‌धति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है । हमारी वर्तमान शिक्षा पद्‌धति का आधार प्रायोगिक नहीं है । यही कारण है कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् भी हमें नौकरी नहीं मिल पाती है । बेरोजगारी का तीसरा प्रमुख कारण हमारे लघु उद्‌योगों का नष्ट होना अथवा उनकी महत्ता का कम होना है । इसके फलस्वरूप देश के लाखों लोग अपने पैतृक व्यवसाय से विमुख होकर रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं । आज के समय में युवा पीढ़ी की एक मुख्य समस्या है " बेरोज़गारी " की, आज बेरोजगारी के कारण देश का हर परिवार, हर घर , हर व्यक्ति अपने सपने को मारकर अपने बच्चो के लिए एक नया सपना देखते हैं की मेरा बेटा या बेटी बड़े होकर "ये बनेगे , वो बनेगे , कोई सरकारी अफसर बनेगा " लेकिन किसी तरह से हर समस्या और परेशानी को सहते हुए जब अपने बेटा या बेटी को पढ़ाते - लिखाते है, और इस बेरोजगारी के कारण उन्हें नौकरी नहीं मिलती तो उनके सारे सपने किसी काँच की तरह टूट कर बिखर जाते हैं I फिर किसी तरह अपने आप को सँभालते हुए वो लड़का - या लड़की किसी प्राइवेट कंपनी में जॉब पाने के चक्कर में घूमते फिरते हैं, फिर कही जाकर किसी प्राइवेट कंपनी में किसी ठेकेदार के पास काम कर्त हैं जंहा उन्हें 8 से 12 घंटे के मात्रा 250 से 400 रुपये में काम करते हैं  और उन्हें इस प्राइवेट कंपनी परमामेंट  काम करने के लिए एक्सपीरियंस के साथ - साथ कुछ दक्षिणा भी देना पड़ता है और उस कंपनी के अंदर किसी से जान पहचान होना चाहिए, लेकिन अगर दक्षिणा देने के लिए पैसे होते तो वो कोई दुकान खोलता या कोई छोटा -  मोटा बिजनेस करता वो यहाँ  क्यों आता ?  और आज के समय में तो सरकारी नौकरी किसी भगवान के साक्षात् दर्शन से काम नहीं हैं अगर पदों की संख्या 10 हजार है तो आवेदन करने वालो की संख्या करीब डेढ़ से दो लाख होती हैं पर नौकरी तो 10 हजार को ही मिलेगी ऊपर से इतना कॉम्प्टीशन की अच्छे अच्छे लोग हांथ खड़े कर लेते है क्यों की उनके पास इतनी बड़ी दक्षिणा देने को पैसे नहीं होते, अगर कोई किसी व्यक्ति का आदमी किसी ऊँचे और अच्छे पोस्ट पर सरकारी नौकरी करता हो और पैसा हो तो उनके लिए ही सरकारी हैं बाकि गरीब आदमी तो सरकारी नौकरी को भूल जाये तो अच्छा है उनको तो एग्जाम के फॉर्म के पैसे देने के लिए भी 1 हफ्ता पहले से व्यवस्था करनी पड़ती है और वो पैसा भी उनके हाथ  से चला जाता हैं 
मुझे ये समझ नहीं आता कि  अगर पदों की संख्या 10 हजार है और आवेदन करने वालो कि संख्या 2 लाख है और परीक्षा फीस 400 हैं तो इसका मतलब  200000 लोगो की फीस  200000 x 400 = 80000000 करीब 8 करोड़ रुपये  और पदों संख्या 10000 तो मैं मान लिया की उनके पैसे काम आ गए 10000 x 400 = 4000000  करीब 40 लाख रूपये  बाकि के 80000000 - 4000000 = 76000000 करीब 7 करोड़ 60 लाख रूपये कहा गए ? ये सब पैसा तो उन गरीबो का है जो आधी रोटी खाकर अपने बच्चो के भविष्य लिए पैसा इकठ्ठा करते है अमीर लोगो को तो नौकरी मिल गयी बाकि बचे गरीब, गरीब ही रह गए जितना पैसा गरीबो का इकठ्ठा हुआ है उतने में तो काफी लोगो को जिन्हे नौकरी मिल गयी है उनके पेमेंट के लिए काफी है  इसलिए गरीब हमेशा गरीब ही रह जाता हैं और अमीर और अमीर होता चला जाता हैं इस पर बहुत से प्रतिभाशाली लोग जिनके पास पैसा नहीं  वो लोग पीछे ही रह जाते है मेरी शिकायत इन अमीर लोगो से नहीं मेरी शिकायत तो इस सिस्टम से हैं जो प्रतिभाशाली लोगों को पीछे की ओर  ढ़केल रहा हैं और उन्हें अपना प्रतिभा और विचार व्यक्त करने का कोई जरिया नहीं मिलता आज हम 21वीं सदी में है और मुझे लगता हैं की इस 21वीं सदी के हिसाब से बहुत पीछे हैं कभी आपने ये सोचा की जापान, अमेरिका,रूस , चाइना हमसे आगे क्यों हैं हमारे पीछे होने का कारण हैं, हमारे पास प्रौद्योगिकी की कमी होना, जिनके पास प्रतिभा है कुछ कर दिखाने का उन्हें कोई मंच नहीं मिलता और जिन्हे मंच मिलता हैं उनके पास प्रतिभा की कमी होती हैं इसलिए आज के सदी में भी हम बहुत पीछे हैं अब हमें जरूरत हैं ऐसे प्रणाली (सिस्टम ) को बदलने का जिससे प्रतिभाशाली लोगों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिल सके 



By Niranjan Patel

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